कुदरत का सिद्धांत है — ''विश्वास अगर शत प्रतिशत् हो तो नियत समय पर सबकुछ आपके पक्ष में हो जाएगा। वो सब कुछ आपको मिल जाएगा, जो आपके भाग्य में लिखा गया है।''


इंसान के जन्म के समय ही उसका संपूर्ण जीवन—वृत्त लिख दिया जाता है कि वह कब क्या करेगा, कब उसे सुख मिलेगा, कब दुख भोगना है। परंतु इन सब चीजों का ज्ञान इंसान को नहीं होता है और प्रकृति चाहती भी नहीं कि इंसान इसे जाने, क्योंकि ऐसा होने से इंसान के अकर्मण्य और आक्रामक हो जाने का खतरा हो जाता है।

भाग्य और भविष्य जानना, खतरनाक है।
जो लोग कर्म करने से पहले अपने भाग्य के बारे में, अपने भविष्य के बारे में जानना चाहते हैं वह बिल्कुल गलत करते हैं क्योंकि ऐसा करने से उनका आत्मविश्वास कम हो जाने की संभावना रहती है।

हमें क्या चाहिए और वह कैसे मिलेगा ? यह ज्ञान होना इंसान को कर्मशील और मेहनती बनाता है। इंसान मेहनत करता है ताकि वह अपने सपने अपनी आकांक्षाएं पूरी कर सके। यदि मनुष्य को पता चल जाए कि जो उसको चाहिए वह पांच साल बाद मिलेगा या वह उसकी किस्मत में नहीं है तो मानव निराश होकर मेहनत करना, कार्य करना बन्द कर देगा। और हो सकता है कि वह निराशा के गर्त में गिरकर अपना जीवन भी नष्ट कर डाले।

इसके विपरीत यदि इंसान को यह पता चले कि उसने जो सोचा है उससे कहीं अधिक उसकी किस्मत में लिखा है तो भी उसके अकर्मण्य हो जाने का खतरा है क्योंकि अगर वह ऐसी धारणा कर ले कि कुदरत ने उसकी किस्मत में पहले से ही राजयोग लिखा है तो वह क्यों व्यर्थ की मेहनत करे।

यह दोनों ही परिस्थितियां इंसान के लिए हानिकारक होती हैं इसलिए कुदरत हमेशा इस गूढ़ रहस्य को छिपाकर ही रखती है कि इंसान के भविष्य में और उसके भाग्य में क्या लिखा है। हालांकि कुछ लोग कुण्डली देखकर अपने भाग्य को जानने का प्रयास करते हैं परंतु कंप्यूटर की बनी कुण्डली ईश्वर की लेखनी को पूर्णत: नहीं बता सकती।

किसी ने कहा है — ''करत, करत अभ्यास के, जड़म​ति होत सुजान! रस्सी आवे—जावे से शिल पर परत​ निशान'' इसलिए प्रयास करते रहिए, सफलता जरूर मिलेगी।

असफलता से निराश न हों।
अगर आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करते हैं और लगातार मेहनत के बावजूद भी आपको वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होते तो आपका निराश होना लाजिमी है परंतु जरा सोचिए कि क्या निराश होने से वांछित परिणाम प्राप्त हो जाएंगे।

मेहनत और सफलता के बीच हमेशा एक धुंधला पर्दा होता है, पर्दे के उस पार कितने कदम पर सफलता रखी है यह कोई नहीं बता सकता। यदि पर्दे के उस पर 100 कदम बाद सफलता रखी है और आप 80 कदम चलकर, निराश हो गए हैं कि बहुत ​देर से चल रहा हूं पर ​मंजिल नहीं मिलती, तो आप खुद सोचिए कि आप मात्र 20 कदम और न चल पाने की वजह से अपनी यात्रा अधूरी छोड़कर मंजिल से हमेशा के लिए दूर हो जाएंगे।

इसलिए निराश न हों, और धैर्य के साथ आगे बढ़ें। ईश्वर आपकी अवश्य सहायता करेंगे और आप शीघ्र ही वह धुंधला पर्दा पार कर सफलता की नगरी में प्रवेश कर जाएंगे।